Friday, March 10, 2017

सिस्टम सुधार जरुरी है !

सिस्टम सुधार जरुरी है !
अपने ही सिस्टम के सामने इतनी मजबूर क्यों है सरकार !
सवाल यह कि - नीतिगत अव्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है ?? सरकार या फिर उसका सिस्टम !
क्या कारण है कि भारत सरकार अपने द्वारा स्थापित सिस्टम के आगे इतनी बजबूर हो गई है कि आज सरकार चाहकर भी अपने जनता एजेंडे को ठीक से लागू नहीं कर पा रही है ??
आज परिस्थिति यह है कि सरकार अपनी पूरी कोशिशो के बावजूद अपने काम करवाने में अक्षम दिखाई देती है ! सरकार कि सारी नीतियां भ्रस्टाचार कि शिकार हो जाया करती है और सरकार देखती रहती है !
सरकार ने जनहितकारी नीतियां लागू करने के लिए विभिन्न सिस्टम बनाये और आज आलम यह है कि सरकार अपने द्वारा बनाये गए सिस्टम के आगे ही मजबूर हो गई है ऐसा प्रतीत होता है !
इसका मतलब है कि सरकार के सिस्टम में बड़ी खामिया है जिन्हें दुरुस्त करने कि आवश्यकता है !
मने अपने सिस्टम और समाज को किस स्तर तक गिरा दिया है ! बड़ा अफ़सोस होता है !
आज सरकारी बाबुओ को कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसके बच्चे मर रहे है और किसकी गोद वीरान हो रही है ! उन मासूमो कि चीखे उन्हें क्यू सुनाई देगी जो भ्रस्टाचार में लीन हैं ! बेईमानी जिनका पेशा है !
उन्हें क्यों फर्क पड़ेगा ! उहोने तो अपने बच्चो के भविष्य के लिए इस देश को दांव पर लगा रखा है ! उनके बच्चे तो विदेशो में पढ़ते है ! उन्हें हिंदुस्तान और उसके सिस्टम से क्या लेना देना है !
आखिर किसकी जिम्मेदारी है ! कौन इन हादसों के लिए जिम्मेदार है ! ??
सरकार और उसका सरकारी सिस्टम ! जो सड़ चुका है ! जिनसे अमानवीय बू आत्ती है !
ये दोनों ही भ्रस्टाचार में मस्त हैं ! इन्होंने तो घोटालो और घपलो कि चिरनिद्रा में सोये हुए है !
उन्हें किसी का दर्द ! उन मासूमो कि चीखे ! और उन माताओ का घुटता जीवन भला क्यू दिखाई और सुनाई देगा !
वाह रे दुनिया ! कहने के लिए तो सभी सभ्यताओ के पोषक है हम लेकिन इंसानियत कही भी दूर दूर तक दिखाई नहीं देती !
आखिर और कितने हादसे होंगे ! उनसे कितनी जिंदगियां और कितने घर बर्बाद होंगे ! कोई नहीं बता सकता !

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hi freinds come with me.