Saturday, February 26, 2022

सभ्यताओं का संघर्ष और युद्ध

 सभ्यताओं का संघर्ष और विश्वयुद्ध कि आहट 🚩🚩

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दुनियां में आजतक के मानव इतिहास में हजारों लाखों युद्ध लड़े जा चुके हैँ, करोड़ों, अरबों योद्धाओं को शहादत , बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा जा चुका है, भारत के संस्कृति में युद्ध एक अंतिम निर्णय होता है कि जब समाधान के समस्त मार्ग बंद हो जाये तब, हमने महाभारत और रामायण के युद्ध को पढ़ा है और टी बी सीरियल में देखा भी है!


भारतीय सनातन संस्कृति एकमात्र संस्कृति रही है जो युद्ध में नहीं शान्ति में विश्वास रखती है, हमारा मन्त्र है 👇

ॐ पृथ्वी : शान्ति, अंतरिक्ष शान्ति अर्थात  हे ईश्वर सम्पूर्ण पृथ्वी और अंतरिक्ष में सर्वत्र शान्ति व्याप्त हो,

हम उन ऋषियों कि संताने हैँ जिन्होने अनादिकाल से ही विश्व कल्याण कि परिकल्पना किया 👇

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः!

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, माँ कश्चिद दुःखभाग भवेतु :!!

अर्थात सम्पूर्ण विश्व सुखी हो, सभी निरोगी हो, सबका कल्याण हो,हमारा मन्त्र हैँ, विश्व बंधुत्व,अर्थात सम्पूर्ण विश्व ही हमारा परिवार है 🚩


सोचकर देखो यदि सम्पूर्ण विश्व इस संस्कृति और संस्कार का हिस्सा होता तो दुनियां का रूप, रंग, सामाजिक व्यवस्था और मानव जाति कि व्यवस्था कितनी उत्तम,परोपकारी,कल्याणकारी और साहचर्य पूर्ण होती,

हम सब एक ऐसी सभ्यता में जी रहे होते जहाँ अनैतिक अधिकारों और अमानवीय कृत्यों जैसी कुप्रथाओ को कोई जगह नहीं होती अपितु हम सब एक निर्भय, समायोजित और साहचर्य जीवन के अभिन्न हिस्सा होते, जिस जीवन में शान्ति और आनंद कि धाराएं निरंतर प्रवाहहित हो रही होती, जीवन कितना सुगम और सुगन्धित होता लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा ना हो सका 🚩

यद्यपि यह लड़ाई दो मानव जातियों और दो सभ्यताओं के मध्य नहीं है अपितु यह संघर्ष दो विपरीत विचारों और अचारों के मध्य है, जो आदि काल से ही निरंतर चलती आ रही है, युगों के प्रवाहमय धाराओं में बहती हुई दो विपरीत संस्कृतियां लगातार एक दूसरे के विरुद्ध खड़ी रही हैँ, कभी धर्म का उदय तो कभी अधर्म और अनाचार का प्रदुर्भाव का होना यही क्रम लगातार चलता जा रहा है और आगे भी चलता रहेगा 🚩


संघर्ष कभी समाप्त नहीं हो सकता, हाँ कुछ समय तक उसमें स्थिरता अवश्य आ सकती है, वह भी तब जब विनाश कि विभीषिका में खाक होकर मानव सभ्यता अपने कुकर्मो के अभिशाप में भशम होकर अपनी दुर्गति को प्राप्त हो चुकी होंगी, शान्ति मात्र तब तक रहेगी जबतक मानवता अपने अहंकार कि दावानल में जलकर अपने अपराधों कि काली रातें काट रही होंगी 🚩


युद्ध के कारणों पर विचार करें तो युद्ध और कुछ नहीं मानव के दम्भ, अहंकार और कायरता पूर्ण विचारों कि प्रतिध्वनि मात्र है और कुछ नहीं, जब जब दम्भ ने अपने अहंकारी पँख को फैलाने कि कोशिश किया है तब तब मानव सभ्यता युद्ध कि अग्नि में प्रज्ज्वलित हुई है यही इतिहास रहा है 🚩


हमेशा से सबल ने कमजोर पर आक्रमण किये हैँ,

यूक्रेन कमजोर था अंत तक अमेरिका का मुह देखता रहा ! जो अमेरिका कल तक उक्रेन को ललकार कर उकसा रहा था कि हम और हमारी नाटो सेना आपके कंधे से कन्धा मिलाकर ख़डी है, वही अमेरिका आज उक्रेन से निगाहेँ बचाकर भाग रहा है,


जिस देश कि सीमाएं जब जब कमजोर पड़ी हैँ, तब तब उस देश पर आक्रमण हुए और वह देश गुलाम हुआ है 👇

होंग कॉन्ग ने समृद्धि बहुत कमाई पर रक्षा तंत्र पर काम नही किया उस पर चीन ने कब्जा कर लिया !!

नेपाल कमजोर है चीन ने जबरन उसके गांवों पर कब्जा किया हुआ है !!

नेहरू जी कमजोर प्रधानमंत्री थे तिब्बत दे बैठे चीन को !!

एक राष्ट्र केवल व्यापार या संस्कृति नही होता राष्ट्र राष्ट्र तब बनता है जब उसकी सीमाएं सुरक्षित हो !!!

आज के हालात देख कर लगता है हो सकता है हमने पेट्रोल महंगा भराया हो जी एस टी से लोगो को तकलीफ हुई हो पर इस सरकार ने एक राष्ट्र के रूप में हमे बहुत सुरक्षित कर दिया है ! आजतक भारत दुनियां से सहायता माँगा करता आया hai लेकिन पहली बार दुनियां  भारत कि सहायता कि आस लगाये बैठी है कि यदि भारत खासकर प्रधानमंत्री मोदीजी अपनी तरफ से कोई पहल करें तो शायद विश्व बर्बादी से बच जाये,

आज हमारे पास विश्व की जानी मानी सेना है जो घर मे घुस कर मारती है वो सेना है जिसकी आंखों से चीन भी घबराता है !!!

धन समृद्धि तो समय के साथ आ ही जायेगा पर ये जो राष्ट्र मोदी ने सुरक्षित किया है इसका कर्जदार तो हर राष्ट्र प्रेमी रहेगा !!!

जय माँ भारती !!🚩🚩

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