Friday, March 10, 2017

संरक्षण का चोला पहनने वाले आज समानता की बात क्यों नहीं करते।

संरक्षण का चोला पहनने वाले आज समानता की बात क्यों नहीं करते।
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आरक्षण की नौटंकी करने वाले आज अरबपति बन गए और आरक्षण के नाम पर वोट देने वाले बिहारी और यूपी वाले दिल्ली, मुम्बई, आदि शहरों में मजदूरी करने के लिए बाध्य हैं।
क्या चुनाव में ये लोग किसी गरीब बैकवर्ड और किसी गरीब दलित को टिकट दिया !
आरक्षण के नाम पर लालू यादव ने बिहार को उल्लू बनाया और अब वही काम यु पि मायावती जी और मुलायम करने जा रहे है !
लालू यादव जैसे लोग गरीब बैकवर्डों को आगे नहीं बढ़ने दे रहे है क्योंकि इनका परिवार और इनके रिस्तेदार जो की अब अरबपति और करोड़पति बन चुके है वो गरीब यादवो के लिए आरक्षण की सीटे खाली क्यों नही करते !
बैकवर्डों की राजनीति करके मुलायम कुनबा धनकुबेर बन गया और मायावती जी जिनके पास अकूत धन संपत्ति है और जिनके भाई के पास दर्जनों फार्महाउस और कोठियां है ये लोग गरीब दलितों के लिए आरक्षण क्यों नहीं छोड़ रहे !
अगर इन्हें गरीब बैकवर्ड और गरीब दलित की चिंता है तो सबसे पहले किसी गरीब को टिकट क्यों नही दिया !
क्या चुनाव में ये लोग किसी गरीब बैकवर्ड और किसी गरीब दलित को टिकट दिया !
अगर ये लोग किसी गरीब के लिए कुर्सियां नही छोड़ सकते और किसी गरीब को टिकट नही दे सकते तो गरीब बैकवर्ड और गरीब दलित इन्हें अपना वोट क्यों दे !
जब प्रदेश में भर्तियां होती है तो जिस बैकवर्ड के पास घुस देने के पैसे नही होते उसका बेटा या बेटी किसी प्यून की नौकरी नही मिलती !
अब समय आ गया है की इस देश का गरीब सही -गलत का फैसला करे !
लालू और मुलायम ! सबसे पहले गरीब बैकवर्डों के लिए और मायावती अपने दलित गरीब के लिए आरक्षण छोड़े !

सिस्टम सुधार जरुरी है !

सिस्टम सुधार जरुरी है !
अपने ही सिस्टम के सामने इतनी मजबूर क्यों है सरकार !
सवाल यह कि - नीतिगत अव्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है ?? सरकार या फिर उसका सिस्टम !
क्या कारण है कि भारत सरकार अपने द्वारा स्थापित सिस्टम के आगे इतनी बजबूर हो गई है कि आज सरकार चाहकर भी अपने जनता एजेंडे को ठीक से लागू नहीं कर पा रही है ??
आज परिस्थिति यह है कि सरकार अपनी पूरी कोशिशो के बावजूद अपने काम करवाने में अक्षम दिखाई देती है ! सरकार कि सारी नीतियां भ्रस्टाचार कि शिकार हो जाया करती है और सरकार देखती रहती है !
सरकार ने जनहितकारी नीतियां लागू करने के लिए विभिन्न सिस्टम बनाये और आज आलम यह है कि सरकार अपने द्वारा बनाये गए सिस्टम के आगे ही मजबूर हो गई है ऐसा प्रतीत होता है !
इसका मतलब है कि सरकार के सिस्टम में बड़ी खामिया है जिन्हें दुरुस्त करने कि आवश्यकता है !
मने अपने सिस्टम और समाज को किस स्तर तक गिरा दिया है ! बड़ा अफ़सोस होता है !
आज सरकारी बाबुओ को कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसके बच्चे मर रहे है और किसकी गोद वीरान हो रही है ! उन मासूमो कि चीखे उन्हें क्यू सुनाई देगी जो भ्रस्टाचार में लीन हैं ! बेईमानी जिनका पेशा है !
उन्हें क्यों फर्क पड़ेगा ! उहोने तो अपने बच्चो के भविष्य के लिए इस देश को दांव पर लगा रखा है ! उनके बच्चे तो विदेशो में पढ़ते है ! उन्हें हिंदुस्तान और उसके सिस्टम से क्या लेना देना है !
आखिर किसकी जिम्मेदारी है ! कौन इन हादसों के लिए जिम्मेदार है ! ??
सरकार और उसका सरकारी सिस्टम ! जो सड़ चुका है ! जिनसे अमानवीय बू आत्ती है !
ये दोनों ही भ्रस्टाचार में मस्त हैं ! इन्होंने तो घोटालो और घपलो कि चिरनिद्रा में सोये हुए है !
उन्हें किसी का दर्द ! उन मासूमो कि चीखे ! और उन माताओ का घुटता जीवन भला क्यू दिखाई और सुनाई देगा !
वाह रे दुनिया ! कहने के लिए तो सभी सभ्यताओ के पोषक है हम लेकिन इंसानियत कही भी दूर दूर तक दिखाई नहीं देती !
आखिर और कितने हादसे होंगे ! उनसे कितनी जिंदगियां और कितने घर बर्बाद होंगे ! कोई नहीं बता सकता !

भारत का भविष्य अँधेरे में है !

भ्रस्टाचार के भरोसे विश्व महाशक्ति बनने की आकांक्षा !
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भारत ! शायद दुनियां का पहला ऐसा देश है जिसका सरकारी सिस्टम भ्रस्टाचार के गर्त में धंस चुका है !
सरकार का ही सिस्टम सरकारी योजनाओ का पलीता लगा देता है ! इस देश की ९९% सरकारी योजनाए भ्रस्टाचार की शिकार होकर फेल हो जाती है !
निश्चय ही भारत का भविष्य अन्धकार में है ! इस देश के चोरतंत्र में साबित कर दिया कि यह देश (भारत ) विकसित होने का ख्वाब न संजोये !
विकसित भारत का सपना चोरतंत्र के सहारे कभी पूरा नहीं होने वाला !
प्रधानमन्त्री मोदी जी पहले आप सरकारी चोरतंत्र को ठीक करो फिर गरीबी मुक्त भारत और विकसित भारत के सपना देखो !
भारत भविष्य में कभी भी चीन और अमेरिका का मुकाबला नही कर सकता ! जब तक इस देश में सरकारी चोरतंत्र विद्यमान रहेगा तब तक भारत का भविष्य अंधरे में ही रहेगा !
जब तक भारत सरकार अपने चोरतंत्र को ठीक नहीं करती तब तक विश्व महाशक्ति बनने के सपने देखना बंद कर देना चाहिए ! यही सच्चाई है !
भारत का भविष्य अँधेरे में है !
निश्चय ही भारत का भविष्य अन्धकार में है ! इस देश के चोरतंत्र में साबित कर दिया कि यह देश (भारत ) विकसित होने का ख्वाब न संजोये !
विकसित भारत का सपना चोरतंत्र के सहारे कभी पूरा नहीं होने वाला !
प्रधानमन्त्री मोदी जी पहले आप सरकारी चोरतंत्र को ठीक करो फिर गरीबी मुक्त भारत और विकसित भारत के सपना देखो !
भारत भविष्य में कभी भी चीन और अमेरिका का मुकाबला नही कर सकता ! जब तक इस देश में सरकारी चोरतंत्र विद्यमान रहेगा तब तक भारत का भविष्य अंधरे में ही रहेगा !


यहाँ गण तो है पर तंत्र कहाँ है !

यहाँ गण तो है पर तंत्र कहाँ है !
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हम सब भारतवासी !कल यानि कि २६ जनवरी को एक और गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं !
सिर्फ इसलिए कि २६ जनवरी 1950 को इस देश गणतंत्रीय शासन व्यवस्था लागू हुआ था !
पर आज हम किस गणतंत्र की बात करे ! और इस देश का गण जन कौन सा गणतंत्र मनाये !
इस देश में गण तो है पर तंत्र कहीं दिखाई नही देता !
इस देश में तंत्र की हालत खस्ता है ! हाँ हम सरकारी तंत्र की बात कर रहे हैं !
हमें एक बात समझ में नहीं आती कि इस देश में गण , तंत्र के लिए है या फिर तंत्र, चोर -लुटेरो के लिए !
आज तक को तंत्र को गण के लिए काम करते नही देखा ! हो सकता है कि भविष्य में तंत्र , गण के लिए काम करे !
वैसे भी हम भारतीयों में एक अजीब सी आदत है कि हम पिछले दश (१०) हजार साल पहले के कामो कि खुशियां आज भी बड़े धूमधाम से मनाते हैं ! हमें इसी बात से ख़ुशी मिलती हैं कम से कम हमारे पूर्वजो ने एक अच्छा काम किया था !
चुकी हम सब मिलकर भी कोई अच्छा काम तो कर नही सकते और न ही देशहित में कोई बड़ा काम करेंगे इसलिए हमने तो सोच लिया है कि हम अपने पूर्वजो कि कहानिया और उनके कामो कि खुशियां आज भी मनाएंगे ! वैसे ये भी कोई बुरा काम नही है !
जो लोग आज कुछ नहीं कर सकते वे बस अपनी पुराने कामो कि खुशियां मनाते हैं !
हमें लगता है गणतंत्र का नाम बदलकर नेतातंत्र और अफसरतंत्र कर देना चाहिए !
क्योंकि कल यानि कि २६ जनवरी को भीड़ तो गण कि होगी पर तंत्र कहीं नहीं दिखाई देंगा !
परंतु जाते जाते हम आप सभी देशवाशियों को गणतंत्र कि हार्दिक शुभकामनाये अवश्य देंते जाएंगे क्योंकि हम आपकी खुशियों में खलल पैदा नही करना चाहते !
गणतंत्र कि हार्दिक शुभकामना !
जय हिन्द !

मोदी भरोसे भाजपा ! कब तक !


निःसंदेह आजकल भाजपा का न सिर्फ जनाधार बढ़ा है अपितु कई नए राज्यों में भाजपा अपनी सरकार बनाने में कामयाब भी रही है और शायद  आगे भी दो -चार राज्यों में भाजपा की सरकारें बन जाए !
इसका मूल कारण है मोदी मैजिक ! जी हाँ आजकल भाजपा की लाइफ लाइन मोदी साहब ही हैं जिनके भरोसे भाजपा की नैया पार लग रही है !
लेकिन बड़ा सवाल यह कि मोदी साहब के बाद भाजपा का क्या होगा !
क्या भाजपा अपनी नीतियों के बल पर इस देश में अधिक दिनों तक राज्य कर पायेगी !
हमें तो नहीं लगता ! क्योंकि भाजपा का निचला कैडर में  मोदी जैसा मैजिक व् शशक्त राजनेता नही दिखाई देता ! हो न हो मोदी के बाद भाजपा कि स्थिति आज कि कांग्रेस जैसी ही बन जाए !
क्योंकिं मोदी साहब के अतिरिक्त भाजपा में न ही कोई ईमानदार और शशक्त नेता है और न ही किसी को भाजपा के भविष्य कि चिंता है !
मोदी जी चुनाव जिताते जा रहे है और जिनके हाथो में सत्ता सौपी जा रही है वो मस्त होता जा रहा है !
यही भाजपा के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं !

Saturday, March 4, 2017

सभी आपदाएं हमारी नगर पालिकाओं के प्रबंधन का फेलियर है !


अपनी नाक़ाबिलियत और नाकामियों का ठीकरा विकसित देशों के सर पर कब तक फ़ोड़ोगे ??
सभी प्राकृतिक आपदाएं खासकर जो शहरों में पैदा होती है वे सभी महानगरपालिकाओं ! भूमाफियाओं और नेताओ के मिलीभगत से पैदा होने वाली समस्या है ! जो कि नदियों के बाढ़ क्षेत्र में कालोनियां बसाने और निर्माण के द्वारा पैदा होती हैं ! पहले हम नदी के बाढ़ क्षेत्र में अपना घर बनाते है और जब बाढ़ आती है तो जोर जोर से चिल्लाते हैं !
हम बात प्राकृतिक आपदाओ की कर रहे हैं ! पिछले डेढ़ -दो साल में भारत में कई आपदाएं आई और हिन्दुस्तान को तहस नहस करके चली गई ! पहले उत्तराखंड फिर कश्मीर और अब चेन्नई ! इन त्रासदियों के कारण हजारों जिंदगियां बर्बाद हो गई ! हजारो घर उजड़ गए लोग बेघर हो गए ! और  अरबों का नुकसान हुआ ! 
मिडियाँ में हफ़्तों तक बहस होती रही कि - लोग कैसे बेघर हो रहे हैं ! लोग कैसे मर रहे हैं ! आजकल तो मीडियावालों का एक प्रचलन सा चल पड़ा है ! उनके सामने लोग मर रहे होते है और वे साहब कैमरा सम्हाल कर दुनियां के सामने चिल्ला रहे होते हैं कि ये देखो लोग कैसे मर रहे हैं ! वो सिर्फ इसलिए ताकि उन्हें ढेर साड़ी टी आर पी मिल जाए !  सरकारें  अचानक होश में आती हैं और फटाफट दुनियां भर के तामझाम करना शुरू करती हैं ! 
प्राकृतिक आपदाओं का खेल तो निरंतर चलता ही रहेगा ! क्यूंकि प्रकृति अपने नियमों पर कार्य करती हैं न कि मनुष्यों के नियमो पर ! पर सवाल यह कि हम उन आपदाओं से बचने के लिए कितने और किस स्तर तक तैयार हैं ! कही अतिवृष्टि और कभी बाढ़ ! कभी अनावृष्टि और सुखा ! तो कभी तूफानों का प्राकृतिक दौर तो चलता ही रहेगा !तैयारी प्रकृति को नहीं हम मनुष्यों को करनी पड़ेगी ! पर क्या हम अभी तैयार हैं ! 
हिंदुस्तानी राजनीति अपने निजी स्वार्थो के कारण कोई भी निष्पक्ष निर्णय करने अक्षम है ! यहाँ घपलो और घोटालों का खेल नख से सर तक चल रहा है फिर जो योजनाएं पास होकर लागू होनी होती हैं वे सब घोटाले का शिकार हो जाती हैं ! चाहे उत्तराँचल हो या सीमंचल! चाहे कश्मीर हो या चेन्नई इन सभी आपदाओ के लिए जितनी प्रकृति जिम्मेदार है उतना ही जिम्मेदार सरकारी बाबुओं और घोटालेबाजों का भी है !कुल मिलकर देखा जाए तो हमारी नगरपालिकाएं अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार नहीं है ! हर तरफ बेईमानी का खेल चल रहा है ! 

कौन बचाएगा उन बदनसीबों का बचपन इस बेरहम गरीबी से

सवाल यह कि कौन बचाएगा उन बदनसीबों का बचपन इस बेरहम गरीबी से ??
उन्हें जीवन मिला है तो उनका भी हक़ है वो भी जियें !
उन्हें बचपन मिला है तो उनका भी हक़ है वो भी दुग्ध पियें !
एक तरफ तो वे लोग हैं जो अपने बच्चों के साथ रंगरेलियां मनाने शॉपिंग माल में जाते हैं सिर्फ एक दिन में ही हजारों रूपये पानी की तरह बहा के चले आते हैं ! और दूसरी तरफ वे लोग हैं जिन्हे खाने के लिए शाम को एक सूखी रोटी वो भी सिर्फ नमक के साथ नसीब नहीं हो रही है जिनके बच्चे घास फुस की रोटियां खाकर अपना बचपन काट रहे हैं ! यह उस आधुनिक भारत की सच्ची तस्वीर है जिसके नागरिकों आज भी सूखी रोटियां भी नसीब में नहीं हैं ! जिसे आज विश्व का सबसे तेज गति से विकास करने का अहंकार हो गया है !
हम बात कर रहे है बुंदेलखंड के उन बदनसीब बच्चो के बारे में जिनके नसीब में घास फुस की रोटियों के अलावा और कुछ भी नहीं है ! कपड़ों के नाम पर उनके शरीर पर वही फटे -पुराने चीथड़े ! जिन्हे देखकर कुलीन वर्ग के बच्चे अपने बाप को हजार गालियां सुना दे ! जहाँ एक ओर धनी वर्ग के बच्चे अपने शौक पूरा करने के लिए खर्च कर देतें है वही दूसरी तरफ उससे आधे रुपयों में पुरे परिवार का साल भर का खर्च भी नहीं मिल पा रहा है !  एक रिपोर्ट के अनुसार इन बच्चों में ६०% से अधिक बच्चो को दुग्ध नसीब ही नहीं हुआ ! ये बच्चे जिन्हे भारत के भविष्य कहा जाता हैं और जिनके बलबूते यह देश विश्व में नम्बर -१ बनने का सपना देख रहा हैं ! एक तरफ तो हम विकसित भारत का सपना बुनने में लगें हैं और दूसरी तरफ इस गिरी हुई मानसिकता में समाज विकसित कर रहे हो ! 
इंसानियत के नाम पर इस देश में लाखो सवयंसेवी संस्थाएं हैं और कागजों में तो उनके बड़े महान कारनामे है ये सच है कहने के लिए इस देश में २४ (चौबीस ) लाख से अधिक स्वयं सेवी संस्थाएं है ! किन्तु हकीकत में आधे से अधिक संस्थाएं सिर्फ अपने स्वार्थी भविष्य के निर्माण में कार्यरत हैं ! हाँ बहुत साड़ी संस्थाए और उनमें काम करने वाले लोग भी बेशक अच्छे और ईमानदार हैं पर बहुत बढ़ी संख्यां में वे संस्थाएं भी है जो अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रही है वर्ना सिर्फ स्वयंसेवी संस्थाओं से ही देश महान बन चूका होता भूख से मरने की तो नौबत कभी नहीं आती !  
तुह्मारी जी डी पि ग्रोथ ७% हो या ७०% उन मासूमों के पापी पेट से क्या लेना देना जिनके नसीब में रोटी का टुकड़ा भी नसीब में नहीं है !  रही बात राजनीति की और नौकरशाहों के भ्रस्टाचार की तो इनसे इस देश को अब भगवान ही बचाएगा और कोई दूसरा रास्ता तो हमें दिखाई ही नहीं दे रहा है ! सवाल यह कि कौन बचाएगा उन बदनसीबों का बचपन इस बेरहम गरीबी से ??

उन्हें दलित क्यों कहा जाता हैं ??

उन्हें दलित क्यों कहा जाता हैं ??
उन्हें दलित कहकर राजनितिक पार्टियों के लोग क्या उनका अपमान नहीं करती ??
वो दलित नहीं वो हिन्दू हैं ! वे भी आयों कि ही संताने हैं ! हाँ वो गरीब अवश्य हैं पर ईमानदार गरीब हैं और शायद अपनी इसी ईमानदारी के खातिर वो आज भी गरीब हैं ! हम सभी राजनितिक महानुभावो से नम्र निवेदन करतें है कि कृपया उनकी गरीबी के कारण उन्हें दलित कहकर शर्मिंदा न करे ! वो ईमानदार और मेहनतकश हिन्दू हैं ! उन्हें कदम कदम पर उपेक्षित न किया जाए ! वे गरीब हिन्दुस्तानी है पर उनकी गरीबी के लिए सभी राजनितिक लोग ही जिम्मेदार हैं !
वो मेहनतकश हैं और ईमानदारी से मेहनत करतें हैं ! वे पत्थर अवश्य तोड़ते हैं पर उन्ही के द्वारा थोड़े गए पत्थरो से सुन्दर इमारतें और देश की प्रगति के लिए सड़के तैयार होती है ! वे देश की प्रगतिशीलता के प्रतिमूर्ति हैं !
वे लुटेरे नहीं हैं उन लोगो की तरह जिन्होंने देश लूटने के खातिर अपनी आत्मा तक कौड़ियों के भाव बेंच दी है ! उनकी आत्मा आज भी स्वच्छ और निर्दोष है क्युकी उन्होंने किसी का कत्लेआम नहीं किया है ! किसी के हिस्से की रोटी नहीं खाई है ! ये राजनितिक लोग जो खुद को दलितों का मसीहा कहते फिर रहे है पहले अपने गिरेबान में झांककर तो देखे ! दलितों के नाम पर योजनाये लाते हैं और अपने लाव लस्कर के साथ मिलकर खुद ही गटक जाते हैं ! वो गरीब बेचारे गरीब अवश्य है पर इनकी तरह गद्दार नहीं है !
क्या वे हिन्दू नहीं है ! आखिर वे भी तो हिंदुत्व की पहचान हैं ??
बांटो और राज करो की रणनीति पर ये नेतागण हमेशा से काम करतें है और काफी हद से वे सफल भी होते हैं पर अब उनकी दाल नहीं गलने वाली ! हम मानतें है कि हिन्दू समाज में भी कुछ कमियां रही हैं पर छोटी मोदी बातो का बतंगड़ बनाकर हिन्दुओं को विभाजित नहीं किया जा सकता ! यह बात हिन्दू समाज को भली भांति समझना चाहिए कि कुछ राजनितिक लोग हैं जो हिन्दुओं को बांटकर अपनी राजनितिक रोटियां सेकना चाहते हैं ! 
उन्हें दलित कहकर हिन्दू समाज से अलग करने की साजिस रची जा रही हैं ताकि वो खुद हिन्दू समाज से अलग समझें और हिन्दू समाज में असुरक्षित महसूस करे ! 

अभिव्यक्ति कि आजादी कि कोई सीमारेखा भी होनी चाहिए या नहीं ?

बड़ा सवाल यह कि अभिव्यक्ति कि आजादी कि कोई सीमारेखा भी होनी चाहिए या नहीं ??
भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर समय समय पर सवाल उठते रहें हैं पर इस बार एक फिल्म निर्माता ने अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल खड़ा किया है उन महानुभाव के अनुसार भारत में अभिव्यक्ति कि आजादी सबसे बड़ा मजाक है ! हम भी मानते हैं कि अभिव्यक्ति कि आजादी के साथ मजाक अवश्य हो रहा है पर यह मजाक कौन कर रहा है ?? मजाक तो उन जैसे कुसंस्कारी और फूहड़पन संस्कारो वाले लोगो ने देश कि सुसंस्कारितायुक्त संस्कृति और नैतिकतावादी सभ्यता के साथ किया है जिसका विरोध उन्हें अभिव्यक्ति कि आजादी पर प्रतिबन्ध लगता है !अभिव्यकी की आजादी का मतलब फुहड़तापन और नंगापन की संस्कृति को बढ़ावा देना नहीं है जिसकी तरफ श्रीमान कारन जौहर इशारा कर रहे थे !
हो सकता है उनको ऐसा लग रहा हो यह उनका अपना मत है  पर सवाल यह कि यदि अभिव्यक्ति कि आजादी सिर्फ एक मजाक है तो ऐसा मजाक उन्होंने भरी महफ़िल में किया है क्या इसके लिए उनके ऊपर कोई जुर्माना अथवा कोई पाबंदी लगी ! यदि नहीं तो उन पर लगनी चाहिए क्युकी जिस अभिव्यक्ति कि आजादी के खिलाफ उन्होंने बोला है वह भी तो अभिव्यक्ति कि आजादी ही है अन्यथा वो बोलने कि हिम्मत ही नहीं करते ! इससे साबित होता है कि अभी भी अभिव्यक्ति कि पूर्ण आजादी है !
उससे बड़ा सवाल यह कि अभिव्यक्ति कि आजादी कि कोई सीमारेखा भी होनी चाहिए या नहीं ??
इस पर मेरा मत यही है कि अभिव्यक्ति कि आजादी की सीमारेखा सुनिश्चित होनी चाहिए ! क्युकि
अभिव्यकी की आजादी का मतलब फुहड़तापन और नंगापन की संस्कृति को बढ़ावा देना नहीं है जिसकी तरफ श्रीमान कारन जौहर इशारा कर रहे थे ! अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब संस्कारितायुक्त संस्कृति को बढ़ावा देना है न कि कुसंस्कारों  से युक्त संस्कृति जिसका मतलब है खुलकर जीना न कि खोलकर जीना ! ऐसे लोग किस प्रकार के समाज और किस प्रकार कि संस्कृति के प्रणेता है यह सबको पता है जहाँ रिश्तों के नाम पर सबकुछ जायज है ! सम्बन्धो में नाम पर अश्लीलता और नग्नता जिनका पेशा है ! 
अगर समाज में उन्हें (कारन जौहर जैसे महानुभावों को )अभिव्यक्ति कि आजादी के नाम पर अश्लीलता और नग्नता पेश करने कि अनुमति दी जाती है तो अभिव्यक्ति कि आजादी है अन्यथा नहीं है ! जिस देश में लोग खुलेआम मिडियाँ के सामने प्रधानमन्त्री को अपशब्द तक बोलते है यदि उस देश में भी अभिव्यक्ति कि आजादी नहीं है तो किस देश में है हमें तो याद नहीं आ रहा है यदि आप को पता हो तो हमें भी अवश्य बताइयेगा ??

भ्रस्टाचार के भरोसे विश्व महाशक्ति बनने की आकांक्षा !

भ्रस्टाचार के भरोसे विश्व महाशक्ति बनने की आकांक्षा !
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भारत ! शायद दुनियां का पहला ऐसा देश है जिसका सरकारी सिस्टम भ्रस्टाचार के गर्त में धंस चुका है !
सरकार का ही सिस्टम सरकारी योजनाओ का पलीता लगा देता है ! इस देश की ९९% सरकारी योजनाए भ्रस्टाचार की शिकार होकर फेल हो जाती है !
निश्चय ही भारत का भविष्य अन्धकार में है ! इस देश के चोरतंत्र में साबित कर दिया कि यह देश (भारत ) विकसित होने का ख्वाब न संजोये !
विकसित भारत का सपना चोरतंत्र के सहारे कभी पूरा नहीं होने वाला !
प्रधानमन्त्री मोदी जी पहले आप सरकारी चोरतंत्र को ठीक करो फिर गरीबी मुक्त भारत और विकसित भारत के सपना देखो !
भारत भविष्य में कभी भी चीन और अमेरिका का मुकाबला नही कर सकता ! जब तक इस देश में सरकारी चोरतंत्र विद्यमान रहेगा तब तक भारत का भविष्य अंधरे में ही रहेगा !
जब तक भारत सरकार अपने चोरतंत्र को ठीक नहीं करती तब तक विश्व महाशक्ति बनने के सपने देखना बंद कर देना चाहिए ! यही सच्चाई है !

स्वायत्तता का दुरूपयोग !




भारत में स्वायत्त संस्थाओ को अगर किसी से खतरा है तो वह है उनकी अपनी जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी नीतियां !
क्या स्वायत्त संस्थाओ को नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे अपना काम ईमानदारी से देशहित में करे !
स्वायत्त संस्थाओ को भ्रस्टाचार और बेईमानी का अधिकार किसने दिया ??
स्वायत्त संस्थाए यह क्यों भूल जाती हैं कि उनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ जनहित व् राष्ट्रहित है भ्रस्टाचार और लूट -खसोट नहीं !
आज स्वायत्त संस्थाओ में सबसे बड़ी समस्या है भ्रस्टाचार और दलाली ! जिनके चंगुल में इस देश कि सभी स्वायत्त संस्थाए फंस चुकी है !
अगर स्वायत्त संस्थाए अपनी जिम्मेदारियों को भूलकर स्वाहित में काम करेगी तो उन पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है !
मीडिया इस देश में स्वायत्त है ! क्या मिडिया अपनी जिम्मेदारी पूर्ण ईमानदारी से निर्वहन कर रही है ??
विश्वविद्यालयों कि क्या स्थिति है आज सबको पता है जहां पैसो में डिग्रियां खुलेआम बिक रही है ??
इसी तरह आर बी आई हो या फिर न्यायपालिका ! अगर ये सभी संस्थाए पूर्ण ईमानदारी से अपनी -अपनी जिम्मेदारियों को निष्पक्षता पूर्वक निर्वहन करे तो उन पर कोई प्रश्नचिन्ह खड़ा नही कर सकता !
लेकिन सवायत्त कि ओट में सबकुछ जायज नहीं हो सकता ! यह बात स्वायत्त संस्थाओ और उनके पदाधिकारियों को अच्छी तरह समझना होगा !
मांफ करना प्रश्न तभी उठते हैं जब कमियां होती है ??

लोकतंत्र के चुनाव में मानवीय लोकतंत्र कही खो गया है !

लोकतंत्र के चुनाव में मानवीय लोकतंत्र कही खो गया है !
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समझ में नही आता कि आज के चुनाव मानवीय लोकतंत्र का है या फिर गधो के लोकतंत्र का !
समझ में नही आ रहा कि क्या इस देश में विकास के सारे पैमाने पुरे हो चुके है और लोगों कि गरीबी -बेकारी ख़त्म हो चुकी है या फिर उसे ख़त्म करने कि जरुरत नही है !
क्या आप बता सकते हैं कि इस देश में बेरोजगारी ख़त्म हो चुकी है या फिर अभी बाकी है क्योंकि लोकतंत्र के चुनावो में उसका कोई जिक्र तक नही है !
क्या आप बता सकते हैं कि भ्रस्टाचार इस देश कि अहम् समस्या है या भ्रस्टाचार आज के लोकतंत्रीय व्यवस्थान में नैतिकता के पैमानों में शुमार हो चूका है !
किसी भी पार्टी अथवा नेता कि तरफ से गरीबी -बेकारी और भ्रस्टाचार मुद्दा नही है ! मानो इस देश के सारे मुद्दे
ख़त्म हो चुके है और हर भारतवासी , ऐसो -आराम और सुखमय जीवन जीने लगा हो !
सच कहूँ तो हमें शर्म आ रही है कि यह लोकतंत्र जो कभी मानवीय समस्याओ के समाधान के लिए बनाया गया था आज गधों के नुक्ताचीनी में लगा हुआ है और मानवीय समस्याओं से दूर होता जा रहा है !

देश की शिक्षा व्यवस्था और समाज का माहौल कौन बिगाड़ रहा है !


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भारत के विश्वविद्यालयों को राजनीति का अखाड़ा किसने बनाया !
हम विश्वविद्यालयों के मानहदो और शिक्षाधिकारियों से पूछना चाहते हैं !
क्या विश्वविद्यालयों में सिर्फ और सिर्फ राजनीति शाश्त्र के विद्यार्थी ही पढ़ने जाते हैं !
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों और नाना प्रकार की रोज रोज की नौटंकियों से क्या विज्ञानं और प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र या फिर गणित के छात्रों का नुक्सान नही होता !
अन्य दूसरे संकाय के विद्यार्थी गण, मात्र राजनीति शाश्त्र के नौटंकीवालो छात्रों और बेवकूफ नेताओ के कारण अपना भविष्य बर्बाद क्यों करे !
रोज -रोज की नौटंकीबाजी और विश्वविद्यालयों के बंद करने से अन्य सभी विद्यार्थियों की शिक्षण का जो नुक्सान होता है उसकी भरपाई कौन करेगा !
हम पूछना चाहते है क्या इस देश के विद्यालय और विश्वविद्यालय सिर्फ और सिर्फ राजनीति के लिए और राजनितिक अखाड़े के लिए बने है !
क्या सिर्फ राजनीति से ही देश का भविष्य उज्जवल होगा ! या फिर प्रौद्योगिकी शिक्षा और अनुसन्धान से देश का भविष्य उज्जवल होगा !
भारत सरकार से विनम्र अनुरोध है इस देश के विद्यार्थियों और इस देश के उज्जवल भविष्य के लिए राजनितिक शिक्षा और राजनितिक नौटंकियों के लिए अलग से विश्वविद्यालय बनाये जाए जिसमे सिर्फ और सिर्फ राजनीत की शिक्षा प्रदान किया जाए !