Saturday, February 26, 2022

सभ्यताओं का संघर्ष और युद्ध

 सभ्यताओं का संघर्ष और विश्वयुद्ध कि आहट 🚩🚩

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दुनियां में आजतक के मानव इतिहास में हजारों लाखों युद्ध लड़े जा चुके हैँ, करोड़ों, अरबों योद्धाओं को शहादत , बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा जा चुका है, भारत के संस्कृति में युद्ध एक अंतिम निर्णय होता है कि जब समाधान के समस्त मार्ग बंद हो जाये तब, हमने महाभारत और रामायण के युद्ध को पढ़ा है और टी बी सीरियल में देखा भी है!


भारतीय सनातन संस्कृति एकमात्र संस्कृति रही है जो युद्ध में नहीं शान्ति में विश्वास रखती है, हमारा मन्त्र है 👇

ॐ पृथ्वी : शान्ति, अंतरिक्ष शान्ति अर्थात  हे ईश्वर सम्पूर्ण पृथ्वी और अंतरिक्ष में सर्वत्र शान्ति व्याप्त हो,

हम उन ऋषियों कि संताने हैँ जिन्होने अनादिकाल से ही विश्व कल्याण कि परिकल्पना किया 👇

सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः!

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, माँ कश्चिद दुःखभाग भवेतु :!!

अर्थात सम्पूर्ण विश्व सुखी हो, सभी निरोगी हो, सबका कल्याण हो,हमारा मन्त्र हैँ, विश्व बंधुत्व,अर्थात सम्पूर्ण विश्व ही हमारा परिवार है 🚩


सोचकर देखो यदि सम्पूर्ण विश्व इस संस्कृति और संस्कार का हिस्सा होता तो दुनियां का रूप, रंग, सामाजिक व्यवस्था और मानव जाति कि व्यवस्था कितनी उत्तम,परोपकारी,कल्याणकारी और साहचर्य पूर्ण होती,

हम सब एक ऐसी सभ्यता में जी रहे होते जहाँ अनैतिक अधिकारों और अमानवीय कृत्यों जैसी कुप्रथाओ को कोई जगह नहीं होती अपितु हम सब एक निर्भय, समायोजित और साहचर्य जीवन के अभिन्न हिस्सा होते, जिस जीवन में शान्ति और आनंद कि धाराएं निरंतर प्रवाहहित हो रही होती, जीवन कितना सुगम और सुगन्धित होता लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा ना हो सका 🚩

यद्यपि यह लड़ाई दो मानव जातियों और दो सभ्यताओं के मध्य नहीं है अपितु यह संघर्ष दो विपरीत विचारों और अचारों के मध्य है, जो आदि काल से ही निरंतर चलती आ रही है, युगों के प्रवाहमय धाराओं में बहती हुई दो विपरीत संस्कृतियां लगातार एक दूसरे के विरुद्ध खड़ी रही हैँ, कभी धर्म का उदय तो कभी अधर्म और अनाचार का प्रदुर्भाव का होना यही क्रम लगातार चलता जा रहा है और आगे भी चलता रहेगा 🚩


संघर्ष कभी समाप्त नहीं हो सकता, हाँ कुछ समय तक उसमें स्थिरता अवश्य आ सकती है, वह भी तब जब विनाश कि विभीषिका में खाक होकर मानव सभ्यता अपने कुकर्मो के अभिशाप में भशम होकर अपनी दुर्गति को प्राप्त हो चुकी होंगी, शान्ति मात्र तब तक रहेगी जबतक मानवता अपने अहंकार कि दावानल में जलकर अपने अपराधों कि काली रातें काट रही होंगी 🚩


युद्ध के कारणों पर विचार करें तो युद्ध और कुछ नहीं मानव के दम्भ, अहंकार और कायरता पूर्ण विचारों कि प्रतिध्वनि मात्र है और कुछ नहीं, जब जब दम्भ ने अपने अहंकारी पँख को फैलाने कि कोशिश किया है तब तब मानव सभ्यता युद्ध कि अग्नि में प्रज्ज्वलित हुई है यही इतिहास रहा है 🚩


हमेशा से सबल ने कमजोर पर आक्रमण किये हैँ,

यूक्रेन कमजोर था अंत तक अमेरिका का मुह देखता रहा ! जो अमेरिका कल तक उक्रेन को ललकार कर उकसा रहा था कि हम और हमारी नाटो सेना आपके कंधे से कन्धा मिलाकर ख़डी है, वही अमेरिका आज उक्रेन से निगाहेँ बचाकर भाग रहा है,


जिस देश कि सीमाएं जब जब कमजोर पड़ी हैँ, तब तब उस देश पर आक्रमण हुए और वह देश गुलाम हुआ है 👇

होंग कॉन्ग ने समृद्धि बहुत कमाई पर रक्षा तंत्र पर काम नही किया उस पर चीन ने कब्जा कर लिया !!

नेपाल कमजोर है चीन ने जबरन उसके गांवों पर कब्जा किया हुआ है !!

नेहरू जी कमजोर प्रधानमंत्री थे तिब्बत दे बैठे चीन को !!

एक राष्ट्र केवल व्यापार या संस्कृति नही होता राष्ट्र राष्ट्र तब बनता है जब उसकी सीमाएं सुरक्षित हो !!!

आज के हालात देख कर लगता है हो सकता है हमने पेट्रोल महंगा भराया हो जी एस टी से लोगो को तकलीफ हुई हो पर इस सरकार ने एक राष्ट्र के रूप में हमे बहुत सुरक्षित कर दिया है ! आजतक भारत दुनियां से सहायता माँगा करता आया hai लेकिन पहली बार दुनियां  भारत कि सहायता कि आस लगाये बैठी है कि यदि भारत खासकर प्रधानमंत्री मोदीजी अपनी तरफ से कोई पहल करें तो शायद विश्व बर्बादी से बच जाये,

आज हमारे पास विश्व की जानी मानी सेना है जो घर मे घुस कर मारती है वो सेना है जिसकी आंखों से चीन भी घबराता है !!!

धन समृद्धि तो समय के साथ आ ही जायेगा पर ये जो राष्ट्र मोदी ने सुरक्षित किया है इसका कर्जदार तो हर राष्ट्र प्रेमी रहेगा !!!

जय माँ भारती !!🚩🚩

🙏🙏🙏


Thursday, April 16, 2020

आधुनिकता का अहंकार !

आधुनिकता का अहंकार 👇

ऋषियों ने कहा कि 👉जीवन यज्ञ है !
बिल्कुल सही कहा "यज्ञ का अर्थ होता है शरीर के सहारे आत्मा की उन्नति,  और आत्मा की उन्नति का अर्थ है जगत के कल्याण की कामना, दया, करुणा, परोपकार,यहीं आत्मा की उन्नति का मार्ग है !

संसार मे रहकर सुखी जीवन की कामना किसे नहीं ! चर -चराचर में  उपस्थित सभी प्राणी परम सुख की प्राप्ति ने निरंतर कार्यरत है !
लेकिन सुख  की प्राप्ति किसकी क़ीमत पर !भौतिक विकास की अंधी दौड़ मे प्रश्न यह कि 👇
क्या पृथ्वी को जीवन विहीन कर देने से मनुष्य जाति परम सुख को प्राप्त कर लेगा ! या प्रकृति की व्यवस्था को अव्यवस्थित करके और पर्यावरण को छिन्न भिन्न करके परम सुख की प्राप्ति संभव है 👉कभी नहीं !
क्युकि मनुष्य अपने भौतिक विकास की अंधी दौड़ मे एक बड़ी भूल कर दिया कि मनुष्य जाति का अस्तित्व इसी प्रकृति मे निहित है ! प्रकृति की  इस व्यवस्थाक्रम से अलग मनुष्य जाति का कोई औचित्य नहीं है !

पिछली शताब्दीयों मे हुए वैज्ञानिक खोजो और प्रौद्योगिकी उन्नति ने मनुष्य के अहंकार को बहुत बड़ा बना दिया ! चाँद की सतह पर अपना विजय पताका फहराने के उपरांत मानव जाति को लगने लगा की अब वही ब्रह्म है ! वो जो चाहेगा पृथ्वी पर वही होगा !

ऋषियों की हजारों वर्षो की तपस्या से प्राप्त अध्यात्मिकता उसे तुच्छ दिखाई देने लगी थी ! योग, आयुर्वेद, ज्योतिष, और गृह, नक्षत्रीय विधि नियमों को अज्ञानता समझने लगा था !
आधुनिकता के चकाचौंध मे मनुष्य अध्यात्मिकदेवता को गलियां देने लगा ! सहयोग और सहअस्तित्व जीवन की परम्पराओं को ढोंग कहने लगा ! धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधि को पाखंड कहा गया !
जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी जैसे परम पुन्य विचारों, धारणाओं को अज्ञानता का द्योतक माना गया ! क्युकि इस धारणा मे पृथ्वी को ममतामयी माता कहा गया था ! क्युकि उसने  पर्यावरण मे निवास करने वाली समस्टि को अपने समतुल्य मानकर उनकी रक्षा का व्रत लिया था ! सहकारिता और साहचर्य की दिव्य भावना को मूढ़ता की संज्ञा देकर उपहास उड़ाया गया ! क्यकि हमने वृक्षों और नदियों की पूजा किया ! पर्यावरण को संतुलित बनाये रखने और मानव जाति के अस्तित्व को निरंतर बनाये रखने हेतु वनो और वन्य जीवों की सुरक्षित बनाये रकने हेतु शाकाहारी धर्म की स्थापना किया ! सनातन की परंपराओ को अव्यवहारिक और पाखंड कहकर पाश्चात्य लोगों ने मज़ाक बनाया !
युग बीतता गया और हमें अंधभक्त कहा गया !

पृथ्वी की आत्मा को नेष्टनाबूंद करके,  जंगलो पहाड़ो को काटकर मिट्टी के घरों के स्थान पर ऊँची ऊँची गगनचुम्बी अट्टालिकाएं,  महल बनाये गये ! चौड़ी सड़के, हजारों किलोमीटर के हाइवे और उन पर दौड़ती करोड़ों की गाड़ियां ! घोड़ा गाड़ी के स्थान पर,  रेल गाड़ियां,  हवाई जहाज ! समंदर मे तैरते जलयान सबकुछ बनाया हमने !
क़ृषि और पशुपालन की जगह हमने विशाल  कल कारखाने और प्रौद्योगिकी से सुसज्जित उद्योग स्थापित किये ! हमने बड़े बड़े माल भी बनाये !
सच मे यह मानव बुद्धि का ही कमाल है जिसने यह सबकुछ किया है ! विज्ञानं ने बड़ी तरक्की की है ! विज्ञानं ने धरती आकाश को एक कर दिया ! हजारों किलोमीटर की दूरियां मिटाकर रख दिया ! सारे एसो आराम की व्यवस्था किया है !

लेकिन मानव जाति मे कहीं कुछ कमी रह गई,  कहीं थोड़ी भूल कर दी हमने !
युग परिवर्तन और विज्ञान के उदय के साथ साथ मनुष्य मे अहंकार ने जन्म लिया ! उसे लगने लगा कि अब वो अजेय है ! उसे लगा कि अब उसे सनातन पद्धतियों, आचार -विचारों  और मानव विधियों कि आवश्यकता नहीं है ! हमने बड़ी तरक्की कर लिया !

इसी कड़ी मे मनुष्य ने जो सबसे बड़ी भूल की वो यह क़ि 👉 मनुष्य ने विचारकों  बुद्धिजीवीयों  और वैज्ञानिको की अवहेलना किया ! जीवन निर्माणकारी वर्ग को तीसरी श्रेणी का व्यक्ति समझा जाने लगा !
वैज्ञानिक संसाधनों के उत्कर्ष में  सामाजिक, आध्यात्मिक चेतना के विकास मे लगे हुए गुरुओं और प्राध्यापको को अपमानित किया जाने लगा ! समाज निर्माण और जीवन निर्माण मे लगे हुए अविष्कारक हुतात्माओ को अपमानित किया जाने लगा !

इनके स्थान पर किसे तरजीह दिया गया !👇
चोर उचक्कों, धर्म के ठेकेदारो को, समाज के लुटेरों को जो समाज को लूटकर खुद को पैसे वाले बना लिये !
भ्रस्टाचार से पैदा होने वाले करोड़पतियों, अरबपतियों को,  मनोरंजन करने वालों को जो नौंटकी करके समाज का मनोरंजन किया करते थे उन्हें सितारे और किंग जैसे उपाधि से विभूषित किया गया ! क्रीड़ा और खेल करने वालों को सर आँखों पर बिठाया गया और उन्हें करोड़पति, अरबपति बनाया गया ! नंग धड़ंग सामाजिक  जीवन पद्धतियों को आधुनिकता का नाम दिया गया !
काम, वासना और सत्ता लोलुपतावादी इंसानों को सरताज बनाया गया !
इसके परिणाम हुआ क्या 👇
जिन्हे कभी समाज सर आँखों पर बैठाता फिरता था उसको तिरस्कृत करने की परंपरा अपनाई जाने लगी !  समाज, व्यवस्था निर्माण मे जिनकी अहम् भूमिका रही जिनके कर्म आचरणों और उद्यमिता से मानवता विकसित होती रही उन्हें समाज ने तुच्छ मानकर अपमानित किया !
उनकी आत्मा तिरस्कृत होकर ज्ञान विहीन और विचार विहीन होती रही ! लेखक, विचारक और वैज्ञानिक अपनी निजी रोजी रोटी के जुगाड़ मे लग गया !
एक तरफ नाचने, गाने बजाने वालो का उदय हुआ तो वही दूसरी तरफ वैज्ञानिक व आध्यात्मिक चेतना का लोप होने लगा ! वैचारिक प्रतिभा का लगातार तिरस्कार ने समाज को प्रतिभा विहीन बना दिया !
अब आते है असली मुद्दे पर 👇
काल के कपाल पर हाहाकार मचा रहा कोरोना और मनुष्य के अस्तित्व बीच चल रहा महायुद्ध ! इसे मानव निर्मित कहे या नियति की व्यवस्था परिवर्तन !
जो भी हो लेकिन आज मनुष्य को वैज्ञानिक प्रतिभा की कमी बेहद खल रही है ! आज जिन्हें समाज अपना आदर्श समझता है उनका कोई अर्थ नहीं ! अस्तित्व के इस लड़ाई मे गाने बजाने, नाचने वालों, खेल खिलाड़ियों और नेताओं की क्या भूमिका है ! यह किसी से छुपा नहीं है !
गलती की है तो कमी अवश्य खलेगी !
अभी भी वक्त है हमें सामाजिक ताने बाने और आदर्शो की व्यवस्था को पुनः उसी पुरातन और सनानत राह पर लाना होगा जहाँ विचारकों, बुध्दिजीवियों, और वैज्ञानिको को प्राथमिकता मिले उन्हें बच्चों का आदर्श बनाया जाये !

सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे संतु निरामयाः !
परमात्मा सबका कल्याण करें !

वीरेंद्र विश्वमित्र
जय श्रीराम 🙏🙏

Thursday, April 2, 2020

मजहब, मरकज और मौलवी की मानसिकता

मजहब, मरकज और मौलवी 👇👇

सच मे जिस किसी ने इस मजहब और जाहिल जमात को बनाया वह कितना असभ्य, अमानुष और जाहिल किस्म का आदमी था ! जिसने मरकज कि स्थापना किया वो तो तालिबानी मानसिकता का आदमी था ! उसने तो तालिबान जैसे खूंखार आतंकवादी विचारों को जन्म दिया ! जिसका दुष्परिणाम पूरी दुनियां भुगतान कर रही है !
विश्व मे कुल 56 देश इस्लामिक मुल्क हैं जहाँ सीधे इस्लामिक विचारों का शासन है लेकिन एक भी ऐसा देश नहीं जहाँ मजहबी उन्माद ना हो ! एक भी ऐसा देश नहीं जहाँ जनता के मध्य अमन और शान्ति हो !
जमात एक कटटरपंथी मजहबी विचारधारा है !👇👇
शिया - सुन्नी,  का झगड़ा लगभग 800 वर्षो से जारी है ! जिसमे करोड़ों लोग मारे जा चुके हैँ ! जाहिल जमात ने हजारों वर्षो से मानवता को मार मार कर जिहाद कर रहे हैँ !
👉जमीन जिहाद
👉भाषा जिहाद
👉लव जिहाद
👉आतंकवाद
👉अतिवाद
👉शोसल मिडिया जिहाद
👉मिडिया जिहाद
👉न्यायिक जिहाद
👉बाल काटने वाला नाई
👉पंचर बनाने वाला
👉फल सब्जी बेचने वाला
👉मजदूर हो मजबूर

हर जगह बैठा आदमी अपने कौम के लिये जिहाद करने को तैयार बैठा है !

अगर आपको तबलीगी जमात का चीफ मौलाना साद मामूली इंसान लगता है जिसे एक दरोगा द्वारा पकड़ कर बंद कर दिया जाना चाहिए था तो आप बड़े भोले हैं। वह 15 करोड़ दुनिया भर के कट्टर मुसलमानों का लीडर हैं।

तबलीगी जमात इंटरनेशनल का हेडक्वार्टर निजामुद्दीन मरकज है । सबसे ज्यादा सदस्य बांग्लादेश में हैं , उसके बाद पाकिस्तान फिर भारत तब इंडोनेशिया और मलेशिया का नंबर आता है ।

अभी हाल में कोरोनावायरस के फैलने के क्रम में सरकार के विरोध के बावजूद इसने मलेशिया में सम्मेलन किया , पाकिस्तान में सरकार के अनुरोध को ठुकराते हुए वहां भी पिछले माह सम्मेलन किया , बांग्लादेश में दुआ-ए-शिफा किया । यहां भी उसने बहुत कोशिश की मगर जनता कर्फ्यू और लाकडाऊन लागू होने के कारण निजामुद्दीन के 6 मंजिला इमारत में ही सारे लोग बंद रहे ।

दिल्ली पुलिस ने जब दबाव बनाया तब भी ये लोग अडिग रहे । पुलिस जानती थी कि अगर जोर जबरदस्ती करेंगे तो फिर दंगे हो सकते हैं।अंत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने जब इनको इनकी औकात दिखाई तब ये बिल्डिंग खाली करने को राजी हुआ। डोभाल साहब ने स्पष्ट कहा कि अगर खाली नहीं करोगे तो सबको गिरफ्तार किया जाएगा। 28 मार्च को हुई इस बैठक के बाद मौलाना साद मरकज छोड़ कर अंडरग्राउंड हो गया
वैसे ये जान लें कि तबलीगी जमात की स्थापना निजामुद्दीन में 1927 में हुई थी।जब आर्य समाज ने इस्लाम धर्म कबूल करने वाले हिंदूओं को शुद्धि करण आंदोलन चला कर वापस हिन्दू धर्म में शामिल करने का कार्यक्रम चलाया तब उसके जबाव में तबलीगी जमात की स्थापना हुई जो मुसलमान को कट्टर मुसलमान बनाता है। जमात मुस्लिमों को आधुनिक शिक्षा से दूर रहने , हिजाब पहनने, मूंछ नहीं रखने, दाढ़ी रखने ,छोटा पाजामा पहनने जैसी दकियानूसी तालीम देता है

अमेरिका और फ्रांस , जमात को आतंकियों का समर्थक मानता है । फिर भारत मे इनकी आलिशान खातिरदारी क्यूँ होती है !
क्या सरकार इन जमाती जिहादियों से डरती है !
अल्लाह के नाम पर अधर्म और अराजकता कभी जायज नहीं हो सकती भले ही सरकार और मजहबी समाज उसे कितना न्यायोचित घोषित क्यूँ ना करें !
काफिरो को मारो ! उनका क़त्ल करो ! काफिरो कि बहन बेटियों को किडनैप करो उनका रेप करो सब जायज है ! यह किस धर्म कि श्रेणी मे आता है हमें नहीं पता ! लेकिन यह अन्याय और अधर्म है इसे हर कोई जानता है !

मजहब और पाखंड के नाम पर नाजायज कुकृत्यों को कोई सभ्य समाज कब तक बर्दास्त करेगा !!

Saturday, July 27, 2019

अमेरिकी कूटनीति में पाकिस्तान !
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आजकल अमेरिका और ट्रैम्प प्रशाशन पाकिस्तान पर मेहरबान है ! क्यू ?
क्या कारन है है कि जो अमेरिका और ट्रैम्प पाकिस्तान को धमकियाँ देते फिरते थे इमरान खान के अचानक दौरे से पाकिस्तान पर मेहरबान हो गया ! जबकि वही पाकिस्तान और उसके सेनाध्यक्ष ६ महीने पहले तक चीन कि चाटुकारिता करते फिरते रहे !
पाकिस्तान कि आर्थिक हालात रसातल में पहुँच चुकी है ! पाकिस्तान और उसके निति नियंताओ ने सोचा था कि वो चीन कि चापलूसी करके पाकिस्तान कि नैया पर कर लेंगे लेकिन चालबाज चीन इनके शिकंजे में नहीं फंसा और चीन ने अपना मकसद पूरा करने के लिए पाकिस्तान को इन्वेस्टमेंट का लालच देकर अपने CPEC प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जबतक पाकिस्तानी नेताओ को चीन कि यह चाल समझ में आती तब तक चीन अपना मकसद पूरा कर चूका था और पाकिस्तान को अपने मकड़ जाल में पूरी तरह से फंसा चूका था !
अब पाकिस्तान चीन के मकड़ जाल से खुद को बचाने के लिए छटपटा रहा है ! इसीलिए एक बार फिर पाकिस्तानी आकाओ को अमेरिका कि याद आई और पाकिस्तान कि ISI और सेना ने मिलकर सऊदी प्रिंस के सहारे अमेरिकी राष्ट्रपति से मीटिंग फिक्स की और मीटिंग हो भी गई ! जिस मीटिंग में ट्रैम्प ने कश्मीर पर सफ़ेद झूठ बोले और उनकी दुनियां भर में किरकिरी हुई !
अमेरिका-पाकिस्तान की मीटिंग की विशेष बात यह रही की पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खान ने सच्चाई के साथ यह स्वीकार किया की पाकिस्तानी  हुकूमत, हुक्मरान ,सेना और ISI मिलकर जिहादी ग्रुप पैदा किये ! जो सोवियत संघ के विरुद्ध लम्बी लड़ाई लड़कर सोवियत संघ के विघटन में अहम् भूमिका निभाई ! और बाद में वही जिहादी अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना और कश्मीर में भारतीय सेना के विरुद्ध जिहाद कर रहे हैं ! दूसरी बात यह की पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री इमरान खान ने यह भी स्वीकार किया की २६/११ मुंबई हमले और पुलवामा हमले में जैश ए  मोहम्मद का ही हाथ था ! और आज भी करीब ४००००/- जिहादी अफगानिस्तान से लेकर कश्मीर तक सक्रीय हैं !
अमेरिका जैसे स्वाभिमानी देश का पाकिस्तान की तरफ इस तरह अचानक झुकाव के पीछे ट्रैम्प प्रशासन की अफगानिस्तान निति भी है ! अमेरिकी नियंताओ को यह लग रहा है की पाकिस्तान के सहारे अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओ की वापसी संभव है और अमेरिका किसी भी हालात में अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहता है ! दरअसल  यही पाकिस्तान चाहता भी था की कब अमेरिका पाकिस्तान के समाने घुटने टेके और वो उसका फायदा उठा सके !

Friday, March 10, 2017

संरक्षण का चोला पहनने वाले आज समानता की बात क्यों नहीं करते।

संरक्षण का चोला पहनने वाले आज समानता की बात क्यों नहीं करते।
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आरक्षण की नौटंकी करने वाले आज अरबपति बन गए और आरक्षण के नाम पर वोट देने वाले बिहारी और यूपी वाले दिल्ली, मुम्बई, आदि शहरों में मजदूरी करने के लिए बाध्य हैं।
क्या चुनाव में ये लोग किसी गरीब बैकवर्ड और किसी गरीब दलित को टिकट दिया !
आरक्षण के नाम पर लालू यादव ने बिहार को उल्लू बनाया और अब वही काम यु पि मायावती जी और मुलायम करने जा रहे है !
लालू यादव जैसे लोग गरीब बैकवर्डों को आगे नहीं बढ़ने दे रहे है क्योंकि इनका परिवार और इनके रिस्तेदार जो की अब अरबपति और करोड़पति बन चुके है वो गरीब यादवो के लिए आरक्षण की सीटे खाली क्यों नही करते !
बैकवर्डों की राजनीति करके मुलायम कुनबा धनकुबेर बन गया और मायावती जी जिनके पास अकूत धन संपत्ति है और जिनके भाई के पास दर्जनों फार्महाउस और कोठियां है ये लोग गरीब दलितों के लिए आरक्षण क्यों नहीं छोड़ रहे !
अगर इन्हें गरीब बैकवर्ड और गरीब दलित की चिंता है तो सबसे पहले किसी गरीब को टिकट क्यों नही दिया !
क्या चुनाव में ये लोग किसी गरीब बैकवर्ड और किसी गरीब दलित को टिकट दिया !
अगर ये लोग किसी गरीब के लिए कुर्सियां नही छोड़ सकते और किसी गरीब को टिकट नही दे सकते तो गरीब बैकवर्ड और गरीब दलित इन्हें अपना वोट क्यों दे !
जब प्रदेश में भर्तियां होती है तो जिस बैकवर्ड के पास घुस देने के पैसे नही होते उसका बेटा या बेटी किसी प्यून की नौकरी नही मिलती !
अब समय आ गया है की इस देश का गरीब सही -गलत का फैसला करे !
लालू और मुलायम ! सबसे पहले गरीब बैकवर्डों के लिए और मायावती अपने दलित गरीब के लिए आरक्षण छोड़े !

सिस्टम सुधार जरुरी है !

सिस्टम सुधार जरुरी है !
अपने ही सिस्टम के सामने इतनी मजबूर क्यों है सरकार !
सवाल यह कि - नीतिगत अव्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है ?? सरकार या फिर उसका सिस्टम !
क्या कारण है कि भारत सरकार अपने द्वारा स्थापित सिस्टम के आगे इतनी बजबूर हो गई है कि आज सरकार चाहकर भी अपने जनता एजेंडे को ठीक से लागू नहीं कर पा रही है ??
आज परिस्थिति यह है कि सरकार अपनी पूरी कोशिशो के बावजूद अपने काम करवाने में अक्षम दिखाई देती है ! सरकार कि सारी नीतियां भ्रस्टाचार कि शिकार हो जाया करती है और सरकार देखती रहती है !
सरकार ने जनहितकारी नीतियां लागू करने के लिए विभिन्न सिस्टम बनाये और आज आलम यह है कि सरकार अपने द्वारा बनाये गए सिस्टम के आगे ही मजबूर हो गई है ऐसा प्रतीत होता है !
इसका मतलब है कि सरकार के सिस्टम में बड़ी खामिया है जिन्हें दुरुस्त करने कि आवश्यकता है !
मने अपने सिस्टम और समाज को किस स्तर तक गिरा दिया है ! बड़ा अफ़सोस होता है !
आज सरकारी बाबुओ को कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसके बच्चे मर रहे है और किसकी गोद वीरान हो रही है ! उन मासूमो कि चीखे उन्हें क्यू सुनाई देगी जो भ्रस्टाचार में लीन हैं ! बेईमानी जिनका पेशा है !
उन्हें क्यों फर्क पड़ेगा ! उहोने तो अपने बच्चो के भविष्य के लिए इस देश को दांव पर लगा रखा है ! उनके बच्चे तो विदेशो में पढ़ते है ! उन्हें हिंदुस्तान और उसके सिस्टम से क्या लेना देना है !
आखिर किसकी जिम्मेदारी है ! कौन इन हादसों के लिए जिम्मेदार है ! ??
सरकार और उसका सरकारी सिस्टम ! जो सड़ चुका है ! जिनसे अमानवीय बू आत्ती है !
ये दोनों ही भ्रस्टाचार में मस्त हैं ! इन्होंने तो घोटालो और घपलो कि चिरनिद्रा में सोये हुए है !
उन्हें किसी का दर्द ! उन मासूमो कि चीखे ! और उन माताओ का घुटता जीवन भला क्यू दिखाई और सुनाई देगा !
वाह रे दुनिया ! कहने के लिए तो सभी सभ्यताओ के पोषक है हम लेकिन इंसानियत कही भी दूर दूर तक दिखाई नहीं देती !
आखिर और कितने हादसे होंगे ! उनसे कितनी जिंदगियां और कितने घर बर्बाद होंगे ! कोई नहीं बता सकता !

भारत का भविष्य अँधेरे में है !

भ्रस्टाचार के भरोसे विश्व महाशक्ति बनने की आकांक्षा !
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भारत ! शायद दुनियां का पहला ऐसा देश है जिसका सरकारी सिस्टम भ्रस्टाचार के गर्त में धंस चुका है !
सरकार का ही सिस्टम सरकारी योजनाओ का पलीता लगा देता है ! इस देश की ९९% सरकारी योजनाए भ्रस्टाचार की शिकार होकर फेल हो जाती है !
निश्चय ही भारत का भविष्य अन्धकार में है ! इस देश के चोरतंत्र में साबित कर दिया कि यह देश (भारत ) विकसित होने का ख्वाब न संजोये !
विकसित भारत का सपना चोरतंत्र के सहारे कभी पूरा नहीं होने वाला !
प्रधानमन्त्री मोदी जी पहले आप सरकारी चोरतंत्र को ठीक करो फिर गरीबी मुक्त भारत और विकसित भारत के सपना देखो !
भारत भविष्य में कभी भी चीन और अमेरिका का मुकाबला नही कर सकता ! जब तक इस देश में सरकारी चोरतंत्र विद्यमान रहेगा तब तक भारत का भविष्य अंधरे में ही रहेगा !
जब तक भारत सरकार अपने चोरतंत्र को ठीक नहीं करती तब तक विश्व महाशक्ति बनने के सपने देखना बंद कर देना चाहिए ! यही सच्चाई है !
भारत का भविष्य अँधेरे में है !
निश्चय ही भारत का भविष्य अन्धकार में है ! इस देश के चोरतंत्र में साबित कर दिया कि यह देश (भारत ) विकसित होने का ख्वाब न संजोये !
विकसित भारत का सपना चोरतंत्र के सहारे कभी पूरा नहीं होने वाला !
प्रधानमन्त्री मोदी जी पहले आप सरकारी चोरतंत्र को ठीक करो फिर गरीबी मुक्त भारत और विकसित भारत के सपना देखो !
भारत भविष्य में कभी भी चीन और अमेरिका का मुकाबला नही कर सकता ! जब तक इस देश में सरकारी चोरतंत्र विद्यमान रहेगा तब तक भारत का भविष्य अंधरे में ही रहेगा !