Thursday, April 2, 2020

मजहब, मरकज और मौलवी की मानसिकता

मजहब, मरकज और मौलवी 👇👇

सच मे जिस किसी ने इस मजहब और जाहिल जमात को बनाया वह कितना असभ्य, अमानुष और जाहिल किस्म का आदमी था ! जिसने मरकज कि स्थापना किया वो तो तालिबानी मानसिकता का आदमी था ! उसने तो तालिबान जैसे खूंखार आतंकवादी विचारों को जन्म दिया ! जिसका दुष्परिणाम पूरी दुनियां भुगतान कर रही है !
विश्व मे कुल 56 देश इस्लामिक मुल्क हैं जहाँ सीधे इस्लामिक विचारों का शासन है लेकिन एक भी ऐसा देश नहीं जहाँ मजहबी उन्माद ना हो ! एक भी ऐसा देश नहीं जहाँ जनता के मध्य अमन और शान्ति हो !
जमात एक कटटरपंथी मजहबी विचारधारा है !👇👇
शिया - सुन्नी,  का झगड़ा लगभग 800 वर्षो से जारी है ! जिसमे करोड़ों लोग मारे जा चुके हैँ ! जाहिल जमात ने हजारों वर्षो से मानवता को मार मार कर जिहाद कर रहे हैँ !
👉जमीन जिहाद
👉भाषा जिहाद
👉लव जिहाद
👉आतंकवाद
👉अतिवाद
👉शोसल मिडिया जिहाद
👉मिडिया जिहाद
👉न्यायिक जिहाद
👉बाल काटने वाला नाई
👉पंचर बनाने वाला
👉फल सब्जी बेचने वाला
👉मजदूर हो मजबूर

हर जगह बैठा आदमी अपने कौम के लिये जिहाद करने को तैयार बैठा है !

अगर आपको तबलीगी जमात का चीफ मौलाना साद मामूली इंसान लगता है जिसे एक दरोगा द्वारा पकड़ कर बंद कर दिया जाना चाहिए था तो आप बड़े भोले हैं। वह 15 करोड़ दुनिया भर के कट्टर मुसलमानों का लीडर हैं।

तबलीगी जमात इंटरनेशनल का हेडक्वार्टर निजामुद्दीन मरकज है । सबसे ज्यादा सदस्य बांग्लादेश में हैं , उसके बाद पाकिस्तान फिर भारत तब इंडोनेशिया और मलेशिया का नंबर आता है ।

अभी हाल में कोरोनावायरस के फैलने के क्रम में सरकार के विरोध के बावजूद इसने मलेशिया में सम्मेलन किया , पाकिस्तान में सरकार के अनुरोध को ठुकराते हुए वहां भी पिछले माह सम्मेलन किया , बांग्लादेश में दुआ-ए-शिफा किया । यहां भी उसने बहुत कोशिश की मगर जनता कर्फ्यू और लाकडाऊन लागू होने के कारण निजामुद्दीन के 6 मंजिला इमारत में ही सारे लोग बंद रहे ।

दिल्ली पुलिस ने जब दबाव बनाया तब भी ये लोग अडिग रहे । पुलिस जानती थी कि अगर जोर जबरदस्ती करेंगे तो फिर दंगे हो सकते हैं।अंत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने जब इनको इनकी औकात दिखाई तब ये बिल्डिंग खाली करने को राजी हुआ। डोभाल साहब ने स्पष्ट कहा कि अगर खाली नहीं करोगे तो सबको गिरफ्तार किया जाएगा। 28 मार्च को हुई इस बैठक के बाद मौलाना साद मरकज छोड़ कर अंडरग्राउंड हो गया
वैसे ये जान लें कि तबलीगी जमात की स्थापना निजामुद्दीन में 1927 में हुई थी।जब आर्य समाज ने इस्लाम धर्म कबूल करने वाले हिंदूओं को शुद्धि करण आंदोलन चला कर वापस हिन्दू धर्म में शामिल करने का कार्यक्रम चलाया तब उसके जबाव में तबलीगी जमात की स्थापना हुई जो मुसलमान को कट्टर मुसलमान बनाता है। जमात मुस्लिमों को आधुनिक शिक्षा से दूर रहने , हिजाब पहनने, मूंछ नहीं रखने, दाढ़ी रखने ,छोटा पाजामा पहनने जैसी दकियानूसी तालीम देता है

अमेरिका और फ्रांस , जमात को आतंकियों का समर्थक मानता है । फिर भारत मे इनकी आलिशान खातिरदारी क्यूँ होती है !
क्या सरकार इन जमाती जिहादियों से डरती है !
अल्लाह के नाम पर अधर्म और अराजकता कभी जायज नहीं हो सकती भले ही सरकार और मजहबी समाज उसे कितना न्यायोचित घोषित क्यूँ ना करें !
काफिरो को मारो ! उनका क़त्ल करो ! काफिरो कि बहन बेटियों को किडनैप करो उनका रेप करो सब जायज है ! यह किस धर्म कि श्रेणी मे आता है हमें नहीं पता ! लेकिन यह अन्याय और अधर्म है इसे हर कोई जानता है !

मजहब और पाखंड के नाम पर नाजायज कुकृत्यों को कोई सभ्य समाज कब तक बर्दास्त करेगा !!

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hi freinds come with me.